लेखनी प्रतियोगिता -24-Nov-2022 - चमत्कार को नमन
*चमत्कार को नमन है*
सूरज चंदा और आस्मां के तारे,
लगते हैं हमको जो सभी प्यारे।
फूलों की रंगत का लगता मेला,
प्रकृति का चमत्कार है यह सारे।
मंत्रों - तंत्रों के भेद को जाने,
चमत्कारों के नमस्कार को माने।
मनुष्य तेरी ये कैसी रज़ा है?
देता है क्यों तू ईश्वर को ताने?
पेड़ों को तो है तूने ही काटा,
आपदा का अब पड़ा है चांटा।
कहीं है सूखा और कहीं है बाढ़,
जीवन भी तो कर रहा है टाटा।
भूकंप के झटके धरती पर आते,
मन को है सब मिल बड़ा डराते।
कहीं होता नुकसान टनों का,
कहीं सब बाल बाल बच जाते।
बीमारियों ने हैं सबको जकड़ा,
तन से हमारा हैं होता झगड़ा।
योगा का चमत्कार तुम देखो,
मरियल को भी ये बना दे तगड़ा।
ईश्वर के चमत्कार को नमन हैं,
सब चाहे तो दुनिया में अमन हैं।
जाति रंगों का सब भेद भुला दो,
यह तो मन में जलती एक तपन है।।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Haaya meer
25-Nov-2022 07:32 PM
Superb 👌
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Muskan khan
25-Nov-2022 04:26 PM
Well done ✅
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Gunjan Kamal
25-Nov-2022 09:41 AM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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